भाभी की बुर को चोदा और उनकी बुर का रस पिया।


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आज की कहानी : भाभी की बुर को चोदा और उनकी चूत का रस पिया।

मेरा नाम शांतनु है मैं महिपालपुर का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 28 वर्ष है और मैं एक घुमक्कड़ परवर्ती का व्यक्ति हूं।

मैं घूमना बहुत पसंद करता हूं और इसी वजह से मैंने अभी तक कहीं जॉब नहीं की है।

मेरे मम्मी पापा मुझे हमेशा कहते हैं कि बेटा कहीं तुम कोई काम कर लो लेकिन मुझे सिर्फ घूमने का शौक है। मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है लेकिन उसके बाद मेरा जॉब में मन नहीं लगा।

मैंने कुछ वक्त तक तो जॉब की लेकिन जब मेरा मन जॉब से उठ गया तो मैंने वहां से रिजाइन दे दिया तब से मैं घर पर ही हूं। मुझे सिर्फ घूमने का नशा है। मैं जगह जगह घूमता रहता हूं।

कुछ समय पहले ही मैं अपने दोस्तों के साथ विदेश गया था। वहां से घूम कर आया। 

यह टूर मेरे लिए बहुत यादगार बन कर रह गया। उस टूर में मेरी मुलाकात अंजलि जी के साथ हुई हालांकि वह शादीशुदा है लेकिन वह ट्यून मेरे लिए बड़ा मजेदार था। मैं जोधपुर जा रहा था और कुछ दिन मैं जोधपुर में ही रुकने वाला था।

मैंने महिपालपुर से ट्रेन लिया और जब मैं ट्रेन में बैठा तो मेरा बैग बाहर ही छूट गया।

ट्रेन चलने वाली थी तभी एक महिला ने मुझे आवाज लगाई और कहा कि आपका बैग छूट गया है।

मैं जल्दी से ट्रेन से उतरा और अपना बैग लेकर दोबारा ट्रेन में चढ़ गया। वह महिला भी मेरे पास में आकर बैठ गई। वह मेरी सीट के पास ही बैठी हुई थी।

मैंने उन्हें कहा कि आपका बहुत बहुत धन्यवाद आप यदि मुझे समय पर नहीं बताती तो शायद मेरा बैग छूट जाता। इसमें मेरा काफी कीमती सामान भी है। वह मुझे कहने लगे कि इसमें आपका क्या सामान था।

मैंने उन्हें बताया कि इसके अंदर मेरा कैमरा और मेरा लैपटॉप है और थोडे बहुत पैसे भी हैं। वह महिला शक्ल से बहुत ही शरीफ लग रही थी और वह जब बातें करती तो मुझे ऐसा लगता जैसे कि उनके जैसा व्यवहारिक इंसान इस पूरी दुनिया में कोई भी नहीं है। उनका नाम अंजलि है।

मैंने उनसे पूछा आप कहां जा रही हैं। वह कहने लगी कि मैं जोधपुर जा रही हूं और मैं दिल्ली की रहने वाली हूं।

जैसे-जैसे ट्रेन आगे बढ़ती जा रही थी वैसे हम दोनों के बीच बातें भी बढ़ती जा रही थी और हम एक दूसरे को अच्छे से पहचानने लगे थे। वह सफर मेरे लिए बहुत अच्छा रहा और उस सफर के दौरान

मैंने अंजलि जी का नंबर भी ले लिया। वह किसी कंपनी में जॉब करती हैं और अपने काम के सिलसिले में ही वह जोधपुर गई हुई थी।

मैं जब स्टेशन पर था तो मैंने अंजलि जी को दोबारा से धन्यवाद कहा और कहा कि यदि आप मुझे समय पर नहीं बताती तो शायद मेरा बैग वहीं रह जाता और मेरा पूरा टूर खराब हो जाता।

वह कहने लगी कोई बात नहीं आगे चल कर कभी आप मेरी मदद कर देना  फिर हिसाब बराबर हो जाएगा। मैंने उन्हें कहा बिल्कुल।

जब भी आपको मेरी जरूरत पड़े तो आप मुझे जरुर याद कर लेना। वह भी मुझसे कहने लगी कि आपका जब भी दिल्ली आने का हो तो आप मुझे जरुर फोन करना। मैंने उन्हें कहा कि मैं जरूर आपको फोन करूंगा।

वैसे मेरे दिल्ली में काफी परिचित भी रहते हैं और मेरा दिल्ली आना जाना तो लगा रहता है। यह कहते हुए वह भी चली गई और मैं भी अपने दोस्त के घर चला गया। मैं जब अपने दोस्त के घर पहुंचा तो मैंने उसे सारी बात बताई।

वह कहने लगा कि यह तो शुक्र है कि उन्होंने तुम्हें समय पर बता दिया नहीं तो तुम्हारा बैक वहीं रह जाता। मैंने उसे कहा कि हां मैंने भी उन्हें यही बात कही। कुछ दिन तो मैंने बहुत एंजॉय किया और हम लोग बहुत मजे से घूमे।

मैं काफी समय बाद अपने दोस्त के साथ कहीं घूमने के लिए निकला था इसलिए वह भी मेरे साथ बहुत खुश था। उसके परिवार के लोग मुझे पहले से ही जानते हैं क्योंकि वह लोग पहले महिपालपुर में ही रहते थे और कुछ समय पहले ही वह लोग जोधपुर सेटल हुए हैं।

मैं जब जोधपुर से वापस महिपालपुर लौटा तो मैंने घर आके देखा कि मेरी मम्मी की तबीयत खराब थी। मैंने अपनी मम्मी से कहा कि आपने दवाई नहीं ली। वह कहने लगी कि नहीं मैं ठीक हो जाऊंगी लेकिन उनकी तबीयत बहुत खराब हो रही थी इसलिए मैं उन्हें जिद करते हुए अस्पताल लेकर चला गया।

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डॉक्टर ने कहा कि उनकी तबीयत तो काफी खराब है। डॉक्टरों ने उस दिन उन्हें हॉस्पिटल में ही रख लिया और अगले दिन हम लोग उन्हें घर लेकर आए। उनकी तबीयत में थोड़ा बहुत सुधार था।

मैंने अपनी मम्मी से कहा कि आप सिर्फ काम करती रहती हैं। आप अपनी तबीयत का क्यों ध्यान नहीं रखती। वह कहने लगी बेटा उम्र हो चुकी है और तबीयत भी खराब होने लगी है। मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से किसी को तकलीफ हो।

मैंने अपनी मम्मी को कहा कि यदि आप किसी को अपनी बीमारी के बारे में नहीं बताएंगे तो पता कैसे चलेगा। यह कहते हुए मैंने उन्हें कहा कि आपको हमें बताना चाहिए था।

वह कहने लगी ठीक है बेटा आगे से मैं जरूर तुम्हें इस बारे में बता दूंगी। मैंने उन्हें कहा कि आप आराम कीजिए। धीरे-धीरे समय बीतने लगा और एक दिन मुझे मेरे दोस्त का फोन आया।

वह दिल्ली में ही रहता है। उसने मुझे कहा कि तुम्हें कुछ दिनों के लिए मेरे घर आना है। मैंने सोचा चलो इस बहाने घूम भी आऊंगा और अंजलि जी से मुलाकात भी हो जाएगी।

मैंने अंजलि जी को फोन कर दिया और कहा कि मैं दिल्ली आ रहा हूं।

वह कहने लगी बिल्कुल आप दिल्ली आ जाइये। कुछ दिनों बाद में दिल्ली चला गया जब मैं दिल्ली गया तो मैं सबसे पहले अंजलि भाभी से मिला।

अंजलि भाभी मुझसे मिलकर बहुत खुश हो रही थी वह इतना ज्यादा खुश थी। जैसे मैं उनका पति हूं। मैं उन्हें देखकर बहुत खुश था।

उस वक्त मैने उन्हे देखते ही गले लगा लिया यह थोड़ा अजीब सा था लेकिन मुझे उन्हें गले लगाकर बहुत अच्छा महसूस हुआ। मैंने जब उन्हें गले लगाया तो वह मुझसे गले लगकर बहुत खुश थी।

उनके स्तन मुझसे टकरा रहे थे। उनके गाल पर मैंने पप्पी दे दी तो वह भी उत्तेजित हो गई। वह कहने लगी आओ मैं तुम्हें अपने घर लेकर चलती हूं।

वह अपनी स्कूटी में आई हुई थी मैन उनके पीछे ही स्कूटी में बैठा हुआ था मेरा लंड उनकी गांड से टकरा रहा था।

मेरा लंड एकदम खड़ा हो चुका था और जब तक हम उनके घर पहुंचे तब तक मेरा वीर्य मेरे अंडरवियर मे गिर चुका था। वह मुझे अपने बेडरूम में ले कर चली गई। जब मैं उनके बेडरूम में गया तो उनके बेडरूम से एक अलग ही खुशबू आ रही थी। मैंने उन्हें कहा मुझे जल्दी से अपने कपड़े बदलने है।

वह कहने लगी कपड़े बदलकर क्या करोगे। उन्होंने मेरे लंड को बाहर निकालते हुए अपने मुंह में ले लिया मेरे लंड पर वीर्य लगा हुआ था लेकिन वह बड़े अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। वह काफी देर तक ऐसे ही मेरे लंड को चुसती रही। मैंने उन्हें कहा आप ऐसे ही मेरे लंड को चूसते रहो।

उन्होंने मेरे लंड का चूस कर उसका जूस बाहर निकाल दिया। जब मैंने उनके बदन के कपड़े उतारे तो उन्होंने ब्लैक रंग की अंडर गारमेंट पहनी हुई थी। उनकी चड्डी के अंदर जब मैंने अपनी उंगली को डाला तो उनकी योनि गिली हुई पड़ी थी। मैंने भी जल्दी से उनकी चड्डी उतार दी और अपने लंड को उनकी योनि पर रगड़ने लगा।

मैंने उनकी ब्रा को भी उतार कर फेंक दिया और उनके स्तनों को बहुत देर तक चूसा। जब मैंने उनके स्तनों का रसपान किया तो उन्होंने मुझे कहा मेरे चूत के अंदर अपने लंड को डाल दो।

मैंने भी उनकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया। जैसे ही मेरा लंड उनकी चूत के अंदर प्रवेश हुआ तो वह मचलने लगी। उन्होंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और मुझे कहने लगी जानू मैं तुम्हारा कब से इंतजार कर रही थी। मैंने जब तुम्हें पहली बार देखा था तो तब से मैं तुम्हारी दीवानी हो गई थी

लेकिन मेरा चेहरा इतना मासूम है कि किसी को भी नहीं लगता कि मेरे अंदर इतनी सेक्स की भूख है। मैंने उन्हें बड़ी तेजी से धक्का मारा और कहा आपने तो मेरा दिल्ली आना सफल कर दिया मैं बहुत ही खुश हूं।

हम दोनों एक दूसरे के साथ संभोग करके बहुत खुश थे। मैंने उस दिन उनके साथ 5 मिनट तक संभोग किया। उन 5 मिनट में मुझे दुनिया की सबसे ज्यादा खुशी मिली।