जीजा जी ने शादी से पहले मुझे चोद कर सील तोड़ी – Jija Sali Ki Chudai

हेल्लो दोस्तों,मेरा नाम सुमन है और इस साल मेरी शादी होने वाली है. मैं छोटे से एक मोहोल्ले की सीधी साधी लड़की हूँ. Antarvansa Hindi Sex Story सुंदर और भरे बदन की मालिका.

मेरी कद काठी होगी 5 फुट के करीब और मेरा रंग है गोरी .जो भी देखता बस देखता ही रह जाता.  काफ़ी मनचलों ने डोरे डालने की कोशिश की मगर मैं हमेशा अपना दामन बचा कर चलती थी.

मैने ठान रखा था कि अपना बदन सबसे पहले अपने पति को ही सौंपूँगी. मगर किस्मत मे तो कुछ और ही था. मेरी एक बड़ी बहन भी है नेहा. नेहा दीदी की शादी को चार साल हो गये थे. मेरा जीजा सचिन बहुत ही हॅंडसम आदमी है. बातें इतनी अच्छी करते हैं कि सुनने वाला बस उनके सम्मोहन मे बँधा रह जाता है. दीदी के मुँह से उनके बहुत किस्से सुन रखे थे.

उनकी शादी से पहले कई लड़कियों से उनके संबंध रह चुके थे. कई लड़कियों से वो संभोग कर चुके थे. मैं शुरू शुरू मे उनपर बहुत फिदा थी. आख़िर साली जो ठहरी. मगर उनके कारनामे सुनने के बाद उनसे सम्हल कर रहने लगी. मैने देखा था कि वो मुझसे हमेशा चिपकने की कोशिश करते थे.

मोका ढूँढ कर कई बार मुझे बाहों मे भी भर चुके थे. एक दो बार तो मेरी चूचियो को अपनी कोहनी से दाब चुके थे. मैं उनसे दूरी रखने लगी. मगर शिकारी जब देखता है कि उसका शिकार चोकन्ना हो गया है तो उसे पकड़ने के लिए तरह तरह की चाल चलता है. और निरीह शिकार उसके चालों को ना समझ कर उसके जाल मे फँस जाता है.

मेरे संबंध की बातें चल रही थी. मम्मी पापा को किसी लड़के को देखने दूर जाना था. दो दिन का प्रोग्राम था. घर पर मैं अकेली रह जाती इसलिए उन्हों ने दीदी और जीजा को रहने के लिए बुलाया. वैसे मैने उनसे कहा कि मैं अकेली रह जाउन्गि लेकिन अकेली जवान लड़की को कोई भी माता पिता अकेले नही छोड़ते. दीदी और जीजा के आने के बाद मेरे मम्मी पापा निकल पड़े.

जैसा मैने सोचा था उनके जाते ही सचिन जी मेरे पीछे लग गये. द्वि अर्थी बातें बोल बोल कर मुझे इशारा करते. दीदी उनकी बातें सुन कर हंस देती. मैं दीदी से कुछ शिकायत करती तो वो कहती कि जीजा साली के संबंधो मे ऐसा चलता ही रहता है.

सचिन जी पर किसी बात का कोई असर नही होता था. मैं उनकी हरकतों से झुंझला उठी थी. उस दिन मैं नहा कर निकली तो सचिन जी ने मुझे अपनी बाहों मे भर कर मेरे बालों मे अपना चेहरा घुसाकर सुगंध लेने लगे. मैं गुस्से से तिलमिला उठी और उन्हे धकेलते हुए उनसे धक्का दे कर अलग हो गयी.

“आप अपनी हदों मे रहिए नही तो मैं मम्मी पापा से शिकायत कर दूँगी” “मैने ऐसा क्या किया है. बस तुम्हारे बालों की महक ही तो ले रहा था.” कहकर सचिन जी ने वापस मुझे पकड़ना चाहा. “खबरदार अपने हाथ दूर रखिए. मुझे च्छुने की भी कोशिश मत करना” मगर वो बिना मेरी बातों की परवाह किए अपने हाथ मेरी तरफ बढ़ाए. मैं अपने को सिकोडते हुए ज़ोर से चीखी”दीदी” दीदी किचन से निकल कर आई.

“क्या हुआ क्यों शोर मचा रही है” “दीदी, जीजाजी को समझा लो. वो मेरे साथ ग़लत हरकतें कर रहे हैं.” दीदी ने उनकी ओर देखते हुए कहा, “क्यों सुमन को परेशान कर रहे हो” “मैं क्या परेशान कर रहा हूँ? पूच्छो इससे मैने ऐसी कौन सी हरकत की है जो ये इतना चिढ़ उठी” “दीदी ये मुझे अपनी बाहों मे लेकर मेरे बदन को चूमने की कोशिश कर रहे थे.”

“ग़लत बिल्कुल ग़लत. मैं तो अपनी इस खूबसूरत साली के बालों पर न्योचछवर हो गया था. मैं तो बस उसके सुंदर सिल्की बालों को चूम रहा था. पूच्छो सुमन से अगर मैने इसके बालों के अलावा कहीं होंठ लगाए हों तो” इससे पहले की दीदी कुछ बोलती मैं बोल उठी, “नही दीदी ये आपके सामने झूठ बोल रहे हैं.

इनकी कोशिश तो मेरे बदन से खेलने की थी.” दीदी ने जीजा जी की तरफ देखा तो वो कह उठे “तुम्हारी कसम नेहा मैं सुमन के सिर्फ़ बालों को छू रहा था. देखो कितने सुंदर बाल हैं” ये कह कर वो मेरे पास आकर वापस मेरे बालों पर हाथ फेरने लगे. मैं गुस्से से तिलमिला कर उनको धकेलते हुए उनसे दूर हो गयी. “रहने दो रहने दो मुझे आपकी सारी हरकतें मालूम हैं.

आप बस मुझसे दूर ही रहिए” मैं रुवासि हो उठी. ” अरे सुमन क्यों इनकी हरकतों को इतना सीरीयस लेती हो. अगर ये तुम्हारे बालों को चूमना चाहते हैं तो चूम लेने दो. इस से तुम्हारा क्या नुकसान होज़ायगा.” दीदी ने समझाते हुए कहा. “अरे दीदी ये जितने भोले बन रहे हैं ना उतने हैं नही” ” सुमन अब मान भी जा” दीदी ने फिर कहा. ” ठीक है.

लेकिन ये वादा करें कि सिर्फ़ मेरे बालों के अलावा कुछ भी नही छुएँगे” जीजा जी ने कहा “ठीक है मैं तुम्हारी दीदी की कसम लेकर कहता हूँ की सिर्फ़ तुम्हारे बालों को ही चूमूंगा उसके अलावा मैं और किसी अंग को नही छ्छूंगा. लेकिन अगर तुम खुद ही मुझे अपने बदन को छूने के hindi sex story लिए कह्दो फिर?” उन्हों ने मुझे छेड़ा “फिर आपकी जो मर्ज़ी कर लेना मैं कुछ भी नही कहूँगी. मैं भी कसम खाती हूँ कि आप अगर सिर्फ़ बालों को चूमे तो मैं कुछ भी नही कहूँगी” “देख लो बाद मे पीछे मत हटना” सचिन जी ने कहा.

“जी मैं आप जैसी नही हूँ. जो कहती हूँ करके रहती हूँ.” “ठीक है जब तुम राज़ी हो ही गयी हो तो ये काम आराम से किया जाए. चलो बेड रूम मे. वहाँ बिस्तर पर लिटा कर आराम से चूमूंगा तुम्हरे बालों को” उन्हों ने चहकते हुए कहा. मैने और ज़्यादा बहस नही किया और चुपचाप उनके साथ हो ली.

हम बेडरूम मे आ गये. मैं बिस्तर पर लेट गयी. और अपने बदन को ढीला छोड़ दिया.दीदी ने मेरे बालों को फैला दिया. जीजाजी बिस्तर पर मेरे बगल मे बैठ कर अपने हाथों मे मेरे बाल लेकर उन्हे चूमने लगे.

धीरे धीरे उनके होंठ मेरे सिर तक आए. मेरे सिर पर बालों को तरह तरह से चूमा फिर मुझे पीछे घूमने को कहकर मेरे गर्देन मे अपने होंठ च्छुआ दिए. गर्दन पर पहली बार किसी मर्द की गर्म साँसों के पड़ने से मन मे एक बेचैनी सी होने लगी. फिर उन्हों ने मुझे सीधा किया और मेरे बालों से उतरकर उनके होंठ मेरे माथे को चूमने लगे. मैं ये महसूस करते ही चौंक उठी.

“ये क्या कर रहे हो. आपने वादा किया था कि मेरे बालों के अलावा किसी अंग को नही छ्छूएँगे.” मैने उठने की कोशिश की. “मैं वही कर रहा हूँ जो मैने वादा किया था. मैं तुम्हारे बालों को ही चूम रहा हूँ. मैने ये कहाँ कहा था कि सिर्फ़ सिर के बालों को चूमना चाहता हूँ. हां अगर ये साबित कर दो कि तुम्हारे बदन पर सिर के अलावा कहीं और बाल नहीं हैं तो छ्चोड़ दूँगा.”

मुझे सारा कमरा घूमता हुआ सा लगा. मैं अपने ही जाल मे फँस चुकी थी. सिर, बगल, चूत पर ही क्या रोएँ तो पूरे शरीर पर ही होते हैं. उफफफ्फ़ ये मैं क्या कसम ले बैठी. लेकिन अब तो देर हो चुकी थी. उसके होंठ मेरे भोन्हो से सरकते हुए मेरी आँखों के पलकों पर आगाए. उनकी होंठों का हल्का हल्का स्पर्श मुझे मदहोश कर दे रहा था. मेरी पलकों पर से घूमते हुए वापस माथे पर आकर ठहरे. फिर नाक के ऊपर से धीरे धीरे नीचे सरकने लगे.

स्पर्श इतना हल्का था मानो को मेरे बदन पर मोर पंख फिरा रहा हो. मेरे रोएँ उसके स्पर्श से खड़े हो जा रहे थे. अब उसके होंठ मेरे होंठो के ऊपर आकर ठहर गये.

उनके और मेरे होंठों मे सिर्फ़ कुछ मिल्लिमेटेर की दूरी थी. मैं सख्ती से आँखे भींच कर उनके होंठों के स्पर्श का इंतेज़ार कर रही थी. ये क्या कुछ देर उसी जगह ठहरने के बाद उन्हों ने अपने होंठ वापस खींच लिए. आप लोग यह कहानी Fungirl.in पर पढ़ रहे है | मैं उनकी इस हरकत से झुंझला कर आँखें खोल दी. पता नही क्यों आज वो इतने निष्ठुर हो गये थे. रोज तो मुझे स्पर्श करने का बहाना ढूँढते थे.

मगर आज जब मैं मन ही मन चाह रही थी को वो मुझे स्पर्श करें तो वो दूरी मेनटेन कर रहे थे. वो उठ कर बैठ गये. “इसके कपड़े उतार दो. कपड़ों के उपर से मैं कैसे पूरे बदन के बालों को चूम सकूँगा.” उन्हों ने कहा. दीदी ने मेरी तरफ देखा. मैने बैठते हुए अपने हाथ ऊपर करके अपनी राजा मंदी जता दी. दीदी ने मेरी कमीज़ उतार दी. टाइट ब्रा मे कसे मेरे स्तनो को देख कर राजेश जी की आँखें बड़ी बड़ी हो गयी.

फिर दीदी ने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए. ब्रा लूस होकर कंधे पर झूल गयी. मैने खूद अपने हाथों से उसे उतार कर तकिये के पास रख दी. मैने अपने स्तनो को अपने हाथों से धक लिया और शरमाते हुए राजेश जी की तरफ देखा. वो मुस्कुराते हुए अपनी मेरे बदन पर आँखें फिरा रहे थे.

फिर दीदी बोली कि देखा ना ऐसा ही करते है और दीदी नीचे झुककर मेरी सलवार का नाडा खोल दिया और दीदी भी अपनी ब्लाउज को थोडा सा ऊपर कर लिया तो एकदम साफ दीदी के बूब्स लटकते हुए नज़र आ रहे थे और उन्होंने जीजाजी की शर्ट को भी उतार दिया.. फिर बेल्ट निकालने लगी तो वो बड़ी मुश्किल से हिला हिलाकर निकली.

फिर पेंट के हुक खोले और उसे उतारने की कोशिश कर रही थी और मुझे बोली कि सुमन मेरी थोड़ी मदद कर इनकी पेंट मुझसे नहीं उतर रही है. तो मैंने उनकी मदद की और उनकी पेंट उतर गई और अब जीजाजी सिर्फ़ अंडरवियर में थे.. जिसे में बहुत ध्यान से देखे जा रही थी और सोच रही थी कि दीदी अब मुझसे अंडरवियर भी ना उतारने के लिए कहे और जीजाजी के बदन से मेरी आँखें नहीं हट रही थी.

क्या मस्त बॉडी थी उनकी सीना चौड़ा और अंडरवियर के अंदर कोई बहुत बड़ी सी चीज़ जो बाहर आने के लिए बेताब हो एसी नजर आ रही थी. तो अचानक से दीदी ने मुझे देख लिया कि में जीजाजी के लंड की तरफ देख रही हूँ और उन्होंने मुझसे कहा कि यह वही सांप है जो रोज़ मुझे डसता है.. क्या तुझे देखना है तो बता?

तो में कुछ नहीं बोल पा रही थी और मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि में क्या जवाब दूँ? में बस देखे जा रही थी और इतने में देखते ही देखते दीदी ने अंडरवियर को एक झटका देकर खींच दिया और लंड को बाहर निकालकर सलहलाने लगी. तो जीजा जी भी मुस्कुराने लगी और कहेने लगी की तुम बाजी हर गये हो .अब मुझे जो चाहिए तुम्हे देना पड़ेगा ,मेरा चूत तो आलरेडी गिला हो गया था क्या करू मुझे समझ में नहीं आरहा था .

दीदी बोली देख इन्हे कितना मज़ा आ रहा है.. में तो बस देखे ही जा रही थी. उनका इतना बड़ा और मोटा था कि बस पूरी चूत गीली हो रही थी. फिर दीदी बोली कि तू भी एक बार इस सांप को पकड़कर देख कितना मज़ा आता है और उन्होंने मेरा हाथ खीचकर लंड पर रख दिया और बोली कि ऊपर नीचे करके देख कितना मज़ा आएगा. फिर मैंने जैसे ही हाथ रखा वो इतना गरम था और इतना मोटा, सख्त, लंबा कि मेरे पूरे बदन में सनसनी सी दौड़ रही थी.

फिर दीदी ने कहा कि साली तू शरमाती बहुत है आज यह तेरी शरम उतारनी पड़ेगी और वो जीजाजी से बोली कि आप ही समझाओ इसे उन्होंने मेरी ब्रा उतार फेंकी और मेरे दोनों कपड़ो को जल्दी से खींचकर फाड़ दिया और जीजाजी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया. में छटपटा रही थी, चिल्ला रही.. लेकिन मुझे बचाने वाला वहाँ पर कोई नहीं था.

फिर दीदी ने मेरे दोनों हाथ आगे से हाथ पकड़ लिए और जीजाजी पूरे नंगे हो गये थे और उनका लंड मेरी गांड को छू रहा था और वो मेरे बूब्स को दबाए जा रहे थे .

तो जीजाजी मेरे पूरे बदन को सहला रहे थे और मानो मेरे जिस्म में हजारों बिजलियाँ दौड़ रही थी.. लेकिन मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और अब तक दीदी मेरी पेंटी को नीचे गिरा चुकी थी और अपनी एक ऊँगली को मेरी चूत पर बार बार रगड़ रही थी .

फिर कुछ देर बाद वो बहुत तेज़ी से अंदर बाहर अपनी ऊँगली करने लगी और जीजाजी ने मुझे इतने ज़ोर से पकड़ा हुआ था कि में छटपटा रही थी और दीदी से कह रही थी और करो अह्ह्ह ह्म्‍म्म्मा ओहूऊऊऊः करे जा रही थी.

फिर जीजाजी मेरे सामने आए और उन्होंने मुझे ज़ोर से गले लगाया और मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाए जा रहे थे. निप्पल को चूसे जा रहे थे और वो एक हाथ से अपनी ऊँगली को मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहे थे. तो मैंने उनका लंड देखा और बोला कि जीजाजी यह कितना बड़ा हो गया है और उस सख्त लंड की नसे भी दिखाई दे रही थी.

फिर दीदी ने कहा कि नीचे बैठ जा और में नीचे बैठी.. तो वो बोली कि दोनों पैर को फैला और मैंने वैसे ही किया. फिर दीदी ने अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में और एक चूत में डालना शुरू किया और में जीजाजी का लंड पकड़कर सहला रही थी और फिर उन्होंने मुझसे कहा कि चूसो इसे.. फिर में ज़ोर ज़ोर से लंड की टोपी मुहं में अंदर बाहर कर रही थी और दीदी उतनी ही तेज़ी से मेरी चूत, गांड में उंगली कर रही थी और जीजाजी ज़ोर ज़ोर के झटके से मुहं में लंड दबा दबाकर अंदर बाहर कर रहे थे और में आहह उह्ह्ह कर थी थी.

फिर उन्होंने मुझे नीचे लेटा दिया और मैंने बोला कि जीजाजी यह बहुत मोटा है.. लेकिन दीदी ने ऊपर से मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए थे और वो बोली कि सुरेश इस साली की चूत में लंड एक बार में अंदर जाना चाहिए. तो जीजाजी ने जोश ही जोश में मेरी चूत के अंदर लंड को इतनी ज़ोर से डाला कि मेरी बहुत ज़ोर से चीख निकल गयी और आखों से आंसू बाहर आ गये.. में जोर से चीखी.. फट गई मेरी चूत, प्लीज बाहर निकालो अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह बचाओ माँ.. मेरी चूत फट गयी.

दीदी मेरे बूब्स और निप्पल को नोंचे जा रही थी और जीजाजी अंदर बाहर लगातार करते रहे और में चिल्लाती रही.. फिर उसने मेरे पैर और फैला दिए और वो ज़ोर ज़ोर से झटके देकर लंड को अंदर डाले जा रहे थे. में उईई माँ उईईइइममाआ आवाज़ किए जा रही थी और ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी.. लेकिन वो फिर भी कुछ नहीं सुन रहे थे. तो दीदी ने कुछ इशारा किया और जीजाजी ने मुझे पीछे पलटा. तो दीदी ने कंडोम उनके लंड पर लगा दिया .

तो में बोली कि दीदी पीछे नहीं जाएगा.. जितना करना है आगे ही कर लो प्लीज.. में आपका लंड और चूस देती हूँ.. लेकिन जीजाजी ने मेरी एक नहीं सुनी और बोले कि उठ कुछ नहीं होगा.. में बस धीरे धीरे धक्के दूंगा और कहने बाद दीदी ने मुझे झुकाया और जीजाजी को आँख मारी और जीजाजी ने ऐसा झटका मारा कि लंड मेरी गांड में घुसता चला गया और में बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी.. लेकिन मेरी कोई नहीं सुन रहा था और दीदी हँसे जा रही थी.

वो झटके पर झटके मारते चले गये और 10 -15 झटके के बाद में मरे जा रही थी और में अधमरी सी हो गयी थी और फिर जीजाजी जब झड़ गये तो उनका पूरा वीर्य मेरी गांड के अंदर चला गया और मुझे मेरी गांड में इतनी जलन हो रही था कि में क्या बताऊँ. फिर पूरी चुदाई होने के बाद दीदी ने मुझे नहलाया और बेड पर लेटा दिया.. में चल भी नहीं पा रही थी. मुझे बहुत दर्द हो रहा था.

फिर अचानक से मेरी आखं लग गई और में करीब 4 घंटे बाद सोकर उठी तो मेरा दर्द ख़त्म हो चुका था. दीदी मेरे पास आई और पूछा कि मजा आया.. तो मैंने भी जवाब में एक स्माईल दे दी. दीदी ने खुश होकर मुझे गले से लगा लिया और बोली कि अब तो तेरी शर्म उतर चुकी है.. अब तू भी हमारे साथ चुदाई के मजे ले.. लेकिन ध्यान रखना कि यह बात किसी को पता नहीं लगनी चाहिए. में दीदी से बोली कि आप चिंता मत करो.. में किसी से कुछ भी नहीं कहूँगी.

दोस्तों फिर उसके बाद तो में जीजाजी की दूसरी बीवी बन गई थी. दीदी और जीजाजी भी बहुत खुश थे. अब हम तीनों चुदाई के फुल मजे लेने लगे थे. सेक्स में ऐसा कोई काम नहीं था जो हमने नहीं किया हो. दीदी जीजाजी के लंड को पकड़कर मेरी चूत पर रखती और में अपनी चूत खोलकर उसे पूरी मस्ती के साथ स्वीकार करती थी.

तरीके से मेरी शादी होने के पहेले ही जीजाजी और दीदी दोनों मिलके मेरी सिल तोड़ी और दीदी मुझे समझाई की अगर मर्द को सही तरीके से अपनी पल्लू में बांध के रखना है तो उसका खाना गरम करने के साथ साथ उसका बिस्तर भी गरम करना आना चाहिए .अब मई पूरी तरीके से शादी के लिए तैयार था .