रंडीबाज के बड़े मोटे लौड़े से चुदवाया – Hindi Sex Story

Hindi Sex Story: मित्रो, मेरा नाम कामिनी साहू है|मैं 24 साल की हूँ और मैं रांची की रहने वाली हूँ|दिखने में मैं हल्की सांवली सलोनी होने के साथ सुडौल और आकर्षित करने वाली माल जैसी लड़की हूँ|

मेरा कद 5 फुट 6 इंच है और मेरी फिगर 36-32-38 की है|ये पोर्न सेक्सी गर्ल की अन्तर्वासना पिछले साल से शुरू हुई जब मैं कोलकाता से अपनी ग्रेजुएशन पूरी करके घर आई हुई थी और घर पर ही घुसी रहती थी|

इसका एक कारण यह भी था कि मेरी सहेलियां दूसरे शहरों में थीं और मैं अपने शहर में ही थी|जिन लड़कों के साथ मेरा चक्कर चलता था, वे सब भी बाहर चले गए थे|कोई था ही नहीं मुझसे खेलने वाला|

बस एक था … पर मैं उससे पहले से ही बहुत ज्यादा घृणा करती थी|उस साले ने मेरे साथ बहुत गंदा काम किया था|आज मैं आपको उसी की सेक्स कहानी सुना रही हूँ|उस आदमी का नाम सुभाष था|

मोटी गांड वाली कुंवारी लौंडिया की देसी चुदाई – Desi Chudai ki Kahani सुभाष 35 साल का आदमी था और मेरे मुहल्ले का रंडीबाज था|वह बहुत ही कमीना किस्म का आदमी भी था|जब मैं 12वीं में थी, यह तब की बात है|जब मैं शाम में दूध लेने जाती थी, तो सुभाष को पता था कि मैं उसी की गली से आना जाना करती हूँ|

एक शाम मैं दूध लेकर आ रही थी तो उसी समय मैं सुभाष से टकरा गई थी|मैंने उसके लिए उससे क्षमा भी मांगी|लेकिन वह सुभाष कमीना कुछ और ही फिराक में था, उसने सीधा मेरी चूचियों को दबोच लिया और पूरी ताकत से दबा कर मसलने लगा|

मैं दूध की केन पकड़ी हुई थी, तो मैं एक हाथ से उसे रोकने में असमर्थ थी| लेकिन उसने मुझे छोड़ दिया|हालांकि मैं उन दिनों दो लड़कों से अपनी चूचियां दबवाती थी और उनके दबाने से मुझे बहुत मज़ा भी आता था|

पोर्न सेक्सी गर्ल की अन्तर्वासना इस उम्र में सब कुछ करवा सकती है|मगर इस कमीने ने तो मेरी चूचियों का हलवा ही बना दिया था|मैंने सुभाष की घटना को घर में बताना ठीक नहीं समझा|वैसे सुभाष मेरे घर के पीछे वाले घर में ही रहता था|

उसके घर के सामने वाली गली में पूरे में अश्लीलता का वातावरण फैला हुआ था|जगह जगह पर इस्तेमाल किया हुआ कंडोम पड़ा मिल जाएगा|मैं पहले भी उस गली से गुज़र चुकी थी, तो मुझे ये सब पता था|

लोगों ने तो उस गली का नाम तक रख दिया था … कंडोम गली|एक बार उधर से निकलने के बाद मैंने भी उस गली से जाना ही छोड़ दिया था|बहुत दिनों बाद अचानक से मेरी गली के नाले का काम शुरू हो गया|

अब नाले का काम कब खत्म होने वाला था, ये कोई नहीं जानता था|नाले का काम होने से बहुत गंदी बदबू आती थी| इतनी गंदी कि बाहर निकलने की इच्छा नहीं होती थी|जब मज़बूरन कोई काम होता था तो मैं कंडोम गली से निकल जाती थी|

वो दिसंबर का महीना था और क्रिसमस आने वाला था|मैं शाम में केक बनाने का सामान लेने और कुछ खरीदारी करने के लिए निकली थी|जाने के समय तो मैं अपनी गली से ही गई थी|

शायद मेरे मन में ये देखते हुए जाने की इच्छा थी कि नाले का काम चल रहा है या नहीं|काम बहुत ही मंथर गति से चल रहा था और जैसे का तैसा पड़ा था|उधर से निकलने में काफी दिक्कत हुई थी तो मैं आते समय उसी कंडोम गली से आ रही थी|

उसी समय सुभाष अपने घर के बाहर नाले में पेशाब कर रहा था|मैं ऐसी परिस्थिति में थी जहां से मैं पीछे मुड़ ही नहीं सकती थी|सुभाष ने मुझे देख लिया था और वह कमीना ज़रा भी नहीं शर्माया|

बल्कि उसने तो मुझे लंड हिलाते हुए मूतना जारी रखा और मेरे तरफ करके लौड़ा दिखाने लगा|मुझे करीब आते देख कर वह कहने लगा- एकदम गदरा गई हो, आओ कभी अकेले में … पेलने में मज़ा आ जाएगा|

मैं इतना बड़ा और मोटा लंड भी मैं पहली बार देख रही थी, वह भी किसी आदमी का|तो वहां से मैं एकदम से डर कर भागी|मैं घर पहुंची, पर उस घटना के बारे में घर में कुछ नहीं बताया, लेकिन सुभाष का लंड भुलाने लायक नहीं था|

मतलब सुभाष का लंड इतना आकर्षक था कि मैं भुला ही नहीं पा रही थी|लटकी हुई अवस्था में ही सुभाष का लंड करीब 6 इंच का लग रहा था|ऊपर से सुभाष के लंड का वह चमकदार गुलाबी टोपा मुझे अपनी चूत सहलाने पर मज़बूर कर रहा था|

मेरे मन में बहुत गंदे गंदे ख्याल उमड़ रहे थे|रात के समय फोन से बात करने के लिए मैं छत पर गई थी|तब मैंने छत से ही सुभाष को बाइक से कहीं जाते हुए देखा|वह ऊंची सीट वाली बाइक होती है ना … उसी बाइक से उसे जाता हुआ देखा|

वैसी बाइक पर बैठे मुझे बहुत समय हो गया था तो मेरे मन में लड्डू फूटने लगे|दो दिन बाद दोपहर को मैं शॉपिंग के निकली और उसी कंडोम गली की तरफ जाने लगी|मैंने न जाने क्या सोचा और ठीक सुभाष के दरवाजे पर दस्तक दे दी|

सुभाष दरवाज़ा खोला और मुझे देख कर बोला- अरे वाह … आखिर तुम आ ही गई, आओ खड़ी क्यों हो?मैं सुभाष से बोली- वो मैं शॉपिंग मॉल जा रही थी, मुझे अपनी बाइक से उधर तक लिफ्ट दे देंगे क्या?

सुभाष मुझसे बोला- अच्छा तो लिफ्ट चाहिए, ठीक है अन्दर आ जाओ| मैं तैयार होता हूँ, फिर चलते हैं|मैं सुभाष से बोली- नहीं, मैं आगे गली में आपका इंतज़ार करती हूँ, आप उधर आ जाओ|सुभाष भी बोला- ठीक है|मैं आगे गली में इंतज़ार करने लगी|

फिर सुभाष आया और मुझे शॉपिंग मॉल लेकर गया|शॉपिंग के दौरान सुभाष ने मुझसे पूछा- शॉपिंग के बाद कहां जाने का प्लान है?मैं सुभाष से बोली- मैं चिकन परांठा खाने की सोच रही हूँ, आप खाओगे?

तो सुभाष बोला- हां, अगर तुम खिलाओगी तो क्यों नहीं!शॉपिंग के बाद मैं और सुभाष चिकन परांठा खाने गए और पैसे भी मैंने ही दिए|फिर हम घर के लिए रवाना हो गए|घर जाते समय सुभाष ने एक मेडिकल स्टोर पर बाइक को रोका|

मैंने सुभाष को कंडोम लेते हुए देखा, मैं समझ गई कि सुभाष को इतनी जल्दी क्यों है|जब सुभाष बाइक पर बैठा तो उसने मुझसे पूछा- तो अभी सीधा घर जाना है ना? और तो कहीं नहीं?मैं सुभाष से बोली- हां! घर ही जाना है और कहां जाऊंगी?

सुभाष मुझसे बोला- मेरे घर चलोगी ना … अब मेरे बाइक से लिफ्ट ले ही ली हो, तो मेरे घर भी आ जाओ!अब जब सुभाष इतना ज़ोर दे ही रहा था तो मैं सुभाष को कैसे ना बोलती!और ये भी जानते हुए मैंने हामी भरी कि सुभाष किस तरह का आदमी है|

अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि मेरे मन में उसका लौड़ा कहां तक बस गया था|मैं सुभाष से बोली- अच्छा ठीक है, पर मैं पहले अपने घर जाकर आऊंगी| उसके बाद आपके घर आऊंगी|

सुभाष मुझसे बोला- हां, कोई बात नहीं आराम से आ जाना, मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ|उसके बाद सुभाष ने मुझे अपने घर के पास उतारा, वहां से मैं अपने घर पैदल चलते हुए गई|

मेरे मन में हज़ारों सवाल उठ रहे थे|मन भी सोच कर घबरा रहा था कि सुभाष पता नहीं क्या क्या करेगा या करवाएगा?लिफ्ट तो मैंने जोश जोश में मांग ली और सही सलामत पहुंच भी गई|मैं घर आने के बाद सबसे पहले तरो-ताज़ा होने गई|

जाने से पहले मैंने मां से कहा- मुझे अभी जाना है|मेरी मां ने मुझसे पूछा- अब कहां जा रही हो?अब मैं क्या बोलूं|मैं ये सोचने लगी|तब मैं बोली- मेरी एक सहेली आई हुई है, उसी के घर जा रही हूँ|

मेरी मां बोली- तो केक कब बनाएँगे? मैंने सोचा था कि अब बस शुरू करते हैं!मैंने मां से कहा- कल दिन से बनाना शुरू कर देंगे, आज मन नहीं है|मेरी मां भी बोली- ठीक है|

मैंने तरो-ताज़ा होने के बाद कपड़े बदले और लैगिंग्स व शर्ट पहन कर घर से निकल कर सुभाष के घर जाने लगी|आज मैंने ज्यादा कुछ सोचा ही नहीं, बस सीधा सुभाष के दरवाज़े पर दस्तक दे दी|

सुभाष तो जैसे मेरे आने का इंतजार ही कर रहा था, उसने फट से दरवाज़ा खोल दिया|वह उस समय तौलिया और बनियान में था|उसकी तौलिया आगे से कुछ फूली हुई थी|सुभाष मुझे देख कर बोला- अन्दर आओ … मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था|

फिर मैं सुभाष के घर में घुसी और उसने फटाक से दरवाज़ा बंद कर दिया|दरवाज़ा बंद करते ही सुभाष ने एकदम से मुझे पीछे से दबोच लिया|उसने दबोचा भी तो सीधे मेरी चूचियों को|

मैं तो सिहर उठी- इस्स … अअआह … आराम से … कमरे में तो जाने देते यार!सुभाष बोलने लगा- अरे रहा ही नहीं जा रहा, इतने दिनों बाद आज मिल ही गई तुम … चलो फिर कमरे में|

सुभाष मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने कमरे में लेकर गया और एकदम से मुझे अपनी बांहों में भर कर अपने मुँह को मेरे मुँह से लगा दिया|सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि मुझे सोचने का समय भी नहीं मिला|

सुभाष मुझे चूम रहा था और साथ ही मेरी गांड को मसल रहा था|चूमते हुए ही सुभाष पीछे से मेरी लैगिंग्स में हाथ डालते हुए मेरे चूतड़ों की दरार में हाथ लगा दिया और सहलाने लगा|मैं तो सुभाष की उस हरकत से मचली जा रही थी| बड़ी गुदगुदी लग रही थी|आज इतने दिनों बाद कोई ने ऐसा किया था|

फिर सुभाष मेरी लैगिंग्स को थोड़ा सा सरका दिया और सामने से मेरी जांघों के बीच हाथ लगा कर मेरी चूत को सहलाने लगा|तब मैं अपनी भावना को संभल नहीं पा रही थी और आह आह करती जा रही थी ‘ईई … उउउहह …’

सुभाष ने एकदम से नीचे चूत को सहलाना छोड़ा और झुकते हुए मेरी लैगिंग्स को सरका कर खींचते हुए निकाल दिया|अब उसने मेरी चूत में अपनी एक उंगली को घुसाया और अन्दर बाहर करने लगा|सुभाष के उंगली करने से मेरी बदन में सनसनी की लहर उठ गई|मैं सिसकने लगी- ईईईह … अअआह … नहीं प्लीज इस्स … अअआह|

सुभाष कहने लगा- साली बड़ी मस्त चूत है तेरी कामिनी … एकदम झांटों वाली … इस्स इसे चाटना तो बनता है मेरी जान!यह कह कर सुभाष ने मेरी एक टांग को अपने कंधे पर लाद लिया और मेरी चूत को चूसने लगा|

सगी बहन को चोद कर उसकी चुत सुजा दी – Bhai Bahan Ki Sex Story आय हाय मज़ा तो मानो मेरी चूत के रास्ते से आ जा रहा था|सुभाष मेरी चूत चूस तो रहा ही था, पर साथ ही जब जब वह अपनी जीभ को मेरी चूत में लगा कर लबलबाता … मैं सिसक कर सुभाष से सर के बाल कसके पकड़ लेती|

उसने मेरी चूत को चूस चाट कर अपने थूक से पूरा लथपथ कर दिया था|फिर सुभाष मेरे सामने खड़ा हुआ और उसने अपने तौलिया को खोल दिया|तौलिया नीचे गिरते ही सुभाष का बड़ा, मोटा और काला लंड मेरे सामने आ गया|

बाप रे … सुभाष का क्या जबरदस्त लंड था| एकदम भारी भरकम लंड था|सुभाष मुझसे कुछ बोलता, उससे पहले ही मैं घुटनों पर आ गई|घुटनों पर आते ही सुभाष अपने लंड को मेरे होंठों के पास लाया|

मैं भी मुँह खोलते हुए सुभाष के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी|अब सुभाष भी पूरा बिंदास हो गया और सिसकते हुए बोलने लगा- आह कामिनी … चूस ले लवड़ा … साली बहुत तड़पाई है मुझे तू … अअआह|

मैं सुभाष के लंड को किसी चोकोबार की तरह चूस रही थी और सुभाष मेरे बाल पकड़ कर आहिस्ता आहिस्ता से मेरे मुँह में लौड़ा पेल भी रहा था|सुभाष के लंड को मैं काफी देर तक चूसती रही थी |

इतनी देर तक चूसने के कारण मेरा मुँह भी दर्द देने लगा था|
इसलिए मैं रुक गई|

उसी समय सुभाष ने मेरी शर्ट को निकाल दिया|मैं खड़ी हुई, तब सुभाष भी अपनी बनियान को उतार फेंका|अब उसने मुझे बांहों में भर कर बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाते हुए |

चूचियों को बाहर निकाल कर चूसने लगा|मैं तो पूरी मदमस्त हो गई थी, सुभाष का बालदार बदन मेरे बदन से रगड़ रहा था|वह मेरी चूचियों को पूरा चूस चाट रहा था|माहौल पूरा गर्म हो चुका था और मुझे मज़ा आने लगा था|

तभी सुभाष बोला- जी तो कर रहा है कि तेरी नंगी देह को चाटता ही रहूँ, लेकिन तुझे चोदना भी है|ये कहते हुए सुभाष उठ गया और उसने पास के ड्रॉवर से कंडोम निकाला|अपने लंड में वह कंडोम पहनाने लगा|तब तक मैंने अपनी ब्रा उतार फेंकी|

फिर सुभाष अपने लंड में कंडोम पहन कर बिस्तर पर आया और मेरी दोनों टांगों को फैला दिया|अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत में रगड़ते हुए उसने सैट कर दिया|इस्स … मज़ा ही आ गया था!

सुभाष ने मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया|उफ्फ्फ … सरसराता हुआ उसका लौड़ा अन्दर घुसता चला गया था|मैं कसमसा कर रह गई थी|कुछ पल बाद सुभाष ने मेरी चूत को आहिस्ता आहिस्ता चोदना शुरू कर दिया था|

मैं ‘इस्स … अअआह …’ करती हुई सिसकने लगी|कुछ ही देर बाद सुभाष मेरी चूत में अपना लंड पूरा अन्दर तक धकेलता और थोड़ा निकालता … और फिर से धकेल देता|इससे मैं सिसक उठती- अअअईईई … ईईई …

अब सुभाष आहिस्ता आहिस्ता से मेरी चूत में थोड़ा ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगा|मैं सुभाष से कहने लगी- अअआह … थोड़ा आराम से … अअआह … दर्द हो रहा है … इस्स|

सुभाष बोला- थोड़ा बर्दाश्त करो, तुझे भी पूरा मज़ा आएगा|यह कहते हुए सुभाष मुझे उसी पोजीशन में देर तक पेलता रहा और मैं ‘अअआह … अअआह … उउउहह …’ करती रही|सुभाष ने तो चोद-चोद कर सर्दी में भी मेरा पसीना निकाल दिया था|

तभी उसने एकदम से मेरी चूत में अपने लंड को ज़ोर से धकेला|मैं ‘अअअईईई … इस्स …’ करती हुई सिसक उठी थी|यह वही पल था, जब मुझे चरमसुख की अनुभूति हुई थी|मेरे झड़ने से क्या होना था क्योंकि सुभाष को तो अभी और चोदना था|

इसी लिए सुभाष ने मुझे उल्टा लेटा दिया और मेरे पेट के नीचे उसने तकिया घुसा दिया|मेरी गांड पर एक थप्पड़ मारते हुए पहले तो मेरी गांड को फैलाया और जी भर के चाटा|चाटने के बाद सुभाष अपने लंड को मेरी चूत में लगा दिया|

अगले ही पल उसने फिर से मेरी चूत में लंड धकेल दिया|‘अअआह… इस्स …’ मैं कराही|वह मेरे ऊपर लेट गया और उसने पेलना शुरू कर दिया|मेरी चूचियां सुभाष के हाथों में थीं|

सुभाष पूरी ताकत से उन्हें दबाए जा रहा था और मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदे जा रहा था|मैं ‘अअआह … अअआह …’ करती हुई सीत्कारती जा रही थी|तब सुभाष भी बौखला गया था और वह मुझे चोदते हुए कहने लगा|

इस्स … अअआह … भैनचोदी आज तो तुझे चोद चोद कर मुतवा दूंगा … अअआह … लवड़ी|सुभाष ने मुझे पेल पेल कर मेरी हालात ख़राब कर दी थी|मैंने तब चादर को अपने दांतों से चबा ली थी ताकि दर्द बर्दाश्त कर सकूं|

कम से कम 20 मिनट की ज़ोरदार चुदाई के बाद सुभाष ने एक बहुत ज़ोर का धक्का दिया|वह इतना ज़ोर का धक्का था कि मैं सुभाष को अपने ऊपर से दूसरे तरफ गिरा कर सीधी शौचालय के लिए भागी … पेशाब करने के लिए|

जब मैं वापस आई तो सुभाष बोला- अरे तुम तो सच में मूतने वाली थी!मैं सुभाष से बोली- तुम बहुत गंदे हो, इतना गंदी गंदी गालियां देते हो| मैं दुबारा नहीं आऊंगी|सुभाष बोला- अरे यार, मुझे सच में मज़ा आने लगा था |

इसलिए तो मेरे मुँह से निकल गया था| उसकी तुम्हें भी आदत हो जाएगी|फिर सुभाष ने मुझे अपने पास खींचा और मुझे मनाने लगा|सुभाष ने मुझे कुछ इस तरह से मनाया कि मैं उसकी बातों में आ गई|

लेकिन यह तो चुदाई की शुरूआत हुई थी, बहुत कुछ होने वाला था|बड़े दिन को … मेरा मतलब क्रिसमस की रात में कुछ ऐसा हुआ, जो वाकयी बड़ा ही रोमांचित कर देने वाला था| उसे मैं अगली बार बताऊंगी|

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