बेलगाम हवस की कहानी – Hindi Sex Story

Hindi Sex Story : नमस्कार मित्रो, मैं सुरेश , ये मेरी पहली कहानी है|घटना 1 साल पहले की है|इस कहानी में चार किरदार हैं मैं सुरेश , दूसरी निशा , तीसरी बबीता (निशा की बहन), चौथी बूढ़ी औरत सविता (बबीता की मां)।

मुझे मधुरा के एक होटल में जॉब मिला।होटल में ड्यूटी टाइम पर खाने की सुविधा थी; रहने की नहीं।इसलिए मैं नजदीक की बस्ती ताजगंज में कमरा किराए पर ले लिया … यानि बुढ़िया सविता का।हां, यहां एक बात बता दूं कि निशा की उम्र करीब 19-20 साल थी|

बबीता की उम्र करीब 27-28 साल थी| वह शादीशुदा थी पर उसके पति ने उसे छोड़ दिया था इसलिए बबीता अपनी मां के साथ अपने 4 साल के बेटे के साथ रह रही थी।फिर मेरी नजर निशा से मिली, वह मुझे मेरे कमरे में चाय देने आई थी।

क्या बताऊं … पतली इकहरे बदन की लंबी कद चूचियों का साईज 24-26 ही होगा।सुबह चाय देने का सिलसिला रोज सुबह 6 बजे शुरू हो गया।कुछ दिन तो ठीक चलता रहा।मैं रात को लेट 11 बजे ड्यूटी से लौटता था, थक जाता था|

रात को कपड़े उतार कर सिर्फ लुंगी पहन कर सोता था।मेरा 7 इंच लंबा 3 इंच मोटा लण्ड निशा के बारे में सोच कर खड़ा हो जाता था।निशा चाय रख कर चली जाती थी पर जाने से पहले मेरे खड़े लंड को देखती।

जब मैं जगता मेरी तरफ देख कर हल्की मुस्कान से देखती थी।पर वह कुछ कर नहीं सकती थी क्योंकि सब जगे होते थे।एक दिन मैं रात 1 बजे ड्यूटी से आया|तो वह जाग रही थी|कमरे में आकर मैं कपड़े उतार कर लुंगी पहन कर लेटा ही था कि दरवाजे पर दस्तक हुई।

मैंने दरवाजा खोला तो सामने निशा खड़ी थी चुपके से कमरे में अंदर आ गई और दरवाजा बंद कर दिया।वह मेरे सीने से लिपट गई।उसके लिपटते ही मेरा लंड सांप की तरह खड़ा हो गया।मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया उसे चूमने लगा।

इतने में खट खट की आवाज आई।शायद बुढ़िया जाग गई थी, पेशाब करने आई थी।निशा दबे पैर दरवाजा खोल कर भाग गई।अगले दिन मैं रात को ड्यूटी से लौटा तो निशा जाग रही थी|मेरे कमरे में आते ही वह भी चली आई।

मैंने अभी कपड़े भी नहीं उतारे थे, उसने तुरंत मेरी पैन्ट खोल कर नीचे उतार दी, मेरे लंड को पकड़ लिया।तो मैं भी उसके छोटे छोटे नींबू के आकार के चूचे कुर्ती के ऊपर से अपने हाथ में लेकर चूसने लगा।वह सिहर उठी।

इधर मेरा लंड फनफना रहा था, वह इसे मसल रही थी।मैंने उसे धीरे से नीचे बिस्तर पर लिटा दिया, अपना एक हाथ कुर्ती के अंदर से उसके छोटे छोटे नींबू को सहला रहा था दूसरे हाथ से उसकी सलवार से डाल कर पेंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहला रहा था|

वह सिसकार रही थी।मैंने धीरे से उसकी कुर्ती उतार दी, फिर सलवार का नाड़ा खोल दिया।अब वह सिर्फ पेंटी ब्रा में थी।मैं पेंटी के ऊपर से उसकी चूत सहला रहा था|उसने मेरा 7 इंच लम्बा लंड पकड़ रखा था।

मैंने उसकी ब्रा खोल दी|वाह क्या चूचे थे … गोरे गोरे चूचे और भूरे रंग के निप्पल!मुझे रहा नहीं गया, मैं अपने मुंह में लेकर चूसने लगा|
वह भी आह आह कर रही थी।मैंने एक हाथ से उसकी पेंटी उतार दी।

क्या बताऊं … छोटे छोटे रेशमी बाल थे उसकी बुर पर!मैं नीचे सरक कर उसकी नाभि को चूसते हुए नीचे की ओर सरक रहा था।अब मेरे हाथ उसकी केले के तने जैसी चिकनी जांघों को सहला रहे थे|

फिर मैंने उसकी चूत में अपनी दो उंगलियों से फैला कर देखा तो उसकी चूत के बालों के बीच गुलाबी रंग के होंठ दिख रहे थे|मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी|वह सिहर गई उई उई करने लगी।बुर में से पानी रिस रहा था|

मुझ से रहा नहीं गया, मैंने अपनी जीभ उसकी चूत की दो फांकों के बीच घुसा दी और जीभ अंदर बाहर करने लगा।वह पागल हो गई।उसने मेरा सिर अपने हाथों से अपनी चूत पर दबा दिया।उसकी चूत से भीनी सी खुशबू आ रही थी|

कुछ ही देर के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और एकदम उसकी चूत से पानी निकलने लगा|शरीर अकड़ा, चूत का पानी निकला और वह ठंडी पड़ गई।कुछ समय शांत रहने के बाद वह उठी|

उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और आइसक्रीम की तरह चूसने लगी, मेरे सुपारे को अपने नर्म नर्म होंठों से चाटने लगी।मेरी हालत खराब हो रही थी|वह मेरे लंड को चूसे जा रही थी|मेरा लंड पूरे उफान पर था|

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मैंने अपने हाथ से उसके सिर को पकड़ कर दबा दिया, लंड उसके गले तक फंस गया।मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा|अब मेरा निकलने वाला था|कुछ ही झटकों के बाद मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी|

वह इसे गटागट पी गई, उसने मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया।मैं ढीला पड़ गया और बिस्तर पर पसर गया।उसने कपड़े पहने|सुबह के 3 बज रहे थे, वह दबे पांव निकल गई।हां … इतना सब हो गया पर हमने एक दूसरे से बात नहीं की।

अगले दिन उसकी चाची उसकी मां से मिलने आई।उनके गांव में रिश्तेदार की शादी थी|चाची उनको लेने आई थी|बबीता ओर बुढ़िया जाने को तैयार हो गई|पर निशा ने तबीयत खराब होने का बहाना बना कर जाने से मना कर दिया।

अब बुढ़िया चिंता में पड़ गई कि इसे अकेली कैसे छोड़े।बुढ़िया मेरे पास आई, कहने लगी- बेटा, निशा घर पर अकेली है| हमें शादी में जाना है| इसकी तबीयत ठीक नहीं है, आप इसका ध्यान रखना। हम दो या तीन दिन में वापस आ जायेंगे।

मैंने कहा- आप इसकी चिंता मत करो, मैं हूं ना!मैं 2 बजे अपनी ड्यूटी पर चला गया|शाम को 7 बजे वे लोग चले गए।मैं रात को 11 बजे लौटा तो निशा मुझे जागती, मेरा इंतजार करती मिली।

आज पहली बार वह मुंह से बोली- आ गए … मैं इंतजार कर रही थी।मैंने कहा- हां|और अपने कमरे में आ गया।वह भी मेरे पीछे पीछे आ गई।
मैं इस घड़ी का सारे दिन से इंतजार कर रहा था।

मैंने तुरंत उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा|अपने कपड़े भी नहीं उतारे थे मैंने तब तक!वह बोली- आराम से … अब कोई डर नहीं है| सारी रात तुम्हारी हूं| दो तीन दिन साथ में मजे करने हैं, खुली छूट है।

मैंने अपने कपड़े उतारे, पूरा नंगा हो गया।साथ ही निशा ने मुझसे पहले ही अपनी कुर्ती उतार दी|वह अब सलवार में थी, ऊपर उसकी ब्रा थी|उसके नींबू जैसे चूचे तने हुए थे|मैंने कहा- सलवार भी उतार!तो वह बोली- सारे काम मैं ही करूंगी तो आप क्या करोगे?

फिर क्या था … मैं उस पर टूट पड़ा, उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया| झट से सलवार नीचे सरक गई।अब निशा पेंटी ब्रा में स्वर्ग से उतरी परी की तरह लग रही थी।मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चूसने लगा|

फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया।उसके होंठों को चूसते हुए उसकी गर्दन तक फिर उसकी ब्रा को खोल कर उसके नींबू जैसे चूचे चूसने लगा मैं!उसके चूचों के रोंगटे खड़े हो गए।फिर उसकी नाभि, चिकने पेट पर जीभ से चाटते हुए उसकी पेंटी तक आ गया।

जैसे ही मैंने उसकी पैंटी उतार कर उसकी चूत पर जीभ लगाई, उसके शरीर में सिरहन दौड़ गई।वह सीत्कार करने लगी।निशा कहने लगी- अब नहीं रहा जाता| प्लीज मेरी चूत की आग बुझा दो, जल्दी डाल दो।मैंने कहा- निशा , आज तुम्हें जन्नत के मजे दूंगा।

तभी मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया, कहा- इसे चूस कर गीला कर दो।वह मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।अब मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रख कर धीरे से दबाव डाला।मेरा लंड फिसल कर बाहर निकल गया।

फिर मैंने सिरहाने रखी तेल की शीशी में से तेल लेकर अपने लंड पर और उसकी चूत पर अंगुली से लगाया|तब अपना सुपारा चूत के मुंह पर रख कर झटका दिया|मेरा लंड एक इंच अंदर गया ही था कि वह चिल्ला उठी, कहने लगी- मैं मर गई … जल्दी बाहर निकालो।

मैंने जल्दी से अपने हाथ उसके होंठों पर रख दिए जिससे वह चिल्ला न सके|फिर मैं रुक गया, थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़ा रहा| फिर धीरे धीरे मैं लंड उसकी चूत में घुसाने लगा|अब लंड थोड़ा अंदर ही गया था कि मैंने जोर का झटका दिया|

मेरा पूरा लंड उसकी चूत को फाड़ते हुए अंदर समा गया।वह चीख नहीं सकी क्योंकि मैंने अपने मुंह को उसके मुंह पर रख दिया था|हां … वह तड़फ गई, उसकी आंखों से आंसू निकल गए।वह दर्द से बिलबिला रही थी|

मैं थोड़ा रुका, उसके मुंह से मुंह हटा कर उसके चूचे चूसने लगा।उसका दर्द कम होने लगा तो मैं धीरे धीरे लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।उसे भी मजा आने लगा।वह कमर उठा उठा कर साथ देने लगी।

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सिसकारी भरने लगी, अपने कमर उठा उठा कर ऊपर नीचे होने लगी|मैं बड़ी सधी गति से उसकी चूत को चोद रहा था|उसने अपने नाखून मेरी कमर में गड़ा दिए और कहने लगी- और जोर से चोदो मेरे राजा!मैंने स्पीड बढ़ा दी|

वह झड़ने लगी|पर मेरा नहीं निकला था|मैं तेज गति से ऊपर नीचे होकर चोद रहा था|इतने में मेरा भी झड़ने वाला था|मैंने कहा- निशा , कहां निकालूं?उसने कहा- राजा, अंदर ही छोड़ दो।

मै चार पांच ठोकर मार कर झड़ गया और उसके ऊपर ही निढाल होकर लेट गया।उस रात हमने चार बार चुदाई की।सुबह उठ कर देखा तो बिस्तर की चादर खून से लथपथ हो गई थी|यह देख कर वह घबरा गई।

मैंने उसे समझाया कि Xxx वर्जिन गर्ल हॉट चुदाई में पहली बार में ऐसा ही होता है|उससे चला भी नहीं जा रहा था, उसकी चूत सूज गई थी|
मैंने उस दिन छुट्टी ले ली।बाजार से मैं उसके लिए दवाई ले कर आया।

फिर हम साथ में नहाए|नहाते हुए फिर मैंने उसकी घोड़ी बना कर चुदाई की।शाम को मैं बाहर से खाना ले आया, साथ ही एक अपने लिए शराब की बोतल और उसके लिए बीयर ले आया।हमने शराब पी, उसने बियर पी फिर चुदाई शुरू कर दी।

इस तरह जब तक उसकी मां बहन नहीं लौटी, हम दोनों ने खूब चुदाई की।अगर कहानी पसंद आई हो तो अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें। हमारी वेबसाइट fungirl.in आपके लिए ऐसी ही मजेदार चुदाई की कहानियां लाती रहेगी।

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