चुदाई की हवश ने भाभी को छपरी से चुदवाया part 1 – Chudai ki Kahani

chudai ki kahani : नमस्कार दोस्तो, मैं बिपाशा हूँ, मेरी उम्र इस समय 30 साल है| मेरा फिगर 34-26-36 का है| मुझे साइज 34 सी की ब्रा लगती है|रायपुर में रहती हूँ| मेरे पति दुर्ग में जॉब करते हैं| मेरी शादी को पांच साल हो गए हैं|

मेरे बाल भी मेरी कमर तक आते हैं| मैं ज्यादातर लैगी कुर्ती ही पहनती हूँ, जिसमें मैं काफी सेक्सी भी लगती हूँ| मेरी गांड पीछे को निकली हुई है और मम्मे भी काफी टाइट हैं| किसी भी कुर्ते या ब्लाउज में मेरे उभरे हुए मम्मे साफ दिखते है|

मेरा रंग भी गोरा है और मैं दिखने में भी काफी खूबसूरत हूं|मेरे कॉलोनी के सब लड़के, मर्द मुझ पर लाइन मारते हैं| वो मेरे आते जाते समय मुझे घूरते रहते हैं लेकिन मुझे उनमें से कोई भी अच्छा नहीं लगता था|

मेरी नापसंदगी भरी नजरों के कारण किसी ने कभी मुझसे बात करने की हिम्मत ही नहीं की|दूसरी ओर हमारे एरिया का एक छपरी लड़का सचिन , मुझे दिखने में काफी अच्छा लगता था|वो बिल्कुल जॉन इब्राहिम की तरह दिखता था|

भांजी हुई जवान मामा ने पुरे किए अपने अरमान – Antarvasna Sex Story

मगर उस साले का नाम काफी खराब था| वो हमेशा लड़ाई झगड़ा करता रहता था|वो मुझे जब भी आता जाता देखता, तो उसके साथ वाले लोग हमेशा गंदे कमेंट्स पास करते थे|एक दो कमेंट्स आपको भी सुनाती हूँ|

सचिन भाई, देखो भाभी जा रही है|’सचिन भाई भाभी की और आपकी जोड़ी तो बहुत अच्छी लगती है|’उन शोहदों की फब्तियां सुनकर मुझे न जाने क्यों अन्दर से बड़ा अच्छा लगता था|

सचिन भी हमेशा शांति से उनकी बात सुन लेता और मेरी ओर देख कर हंस देता था|मैं भी उसकी नजरों से नजरें मिला लेती|उसने अब तक कभी कोई ऐसी हरकत नहीं की थी जिससे मुझे पर्सनली कोई परेशानी होती|

धीरे धीरे उसकी हरकतें बढ़ने लगीं|एक दो बार तो वो बिल्कुल मेरे पास होता हुआ गुजर गया|मुझे काफी डर भी लगा कि कहीं वह मुझे पकड़ ना ले|एक बार तो जब वह मेरे बगल से निकला और उसने मेरे पास आकर धीरे से बोल दिया|

बिपाशा तुम बड़ी खूबसूरत लग रही हो|मैं उसकी इस हरकत पर थोड़ा सहम भी गई लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया|फिर मैं सोचने लगी कि जब तक वह मेरे साथ कोई गलत हरकत नहीं करता, तब तक मैं किसी से कुछ नहीं बताऊंगी|

वैसे मुझे वो अच्छा भी लगता था और उसकी हरकतें भी|जिस प्रकार से वो मुझे छेड़ता और किसी को कुछ पता भी नहीं चलता, ये मुझे अन्दर तक खुश कर देता था|ऐसे ही चलता रहा|

एक बार शनिवार के दिन शाम को अपनी कॉलोनी की लेडीज के साथ मेला घूमने गई|मैंने उस दिन लाल रंग का कुर्ता पहना था जो काफी शॉर्ट था|उसके साथ स्किन टाइट लैगी पहनी थी, वो स्किन कलर की थी|

जब हम लोग मेले में घूम रहे थे तो सब महिलाओं ने मौत का कुंआ देखने को कहा|उधर भीड़ बहुत थी लेकिन मैंने टिकट ली और हम सब महिलाएं सीढ़ी से ऊपर चढ़ने लगे|सब महिलाएं आगे थीं और मैं सबसे पीछे थी|

सीढ़ी चढ़ते वक्त मेरा कुर्ता बार-बार हवा से हल्का हल्का सा उठने लगा जिसे मैं बार बार नीचे कर रही थी|अचानक से मुझे लगा कि मेरी गांड पर किसी ने हाथ रख दिया हो|लेकिन मैंने पीछे नहीं देखा|

चूंकि भीड़ बहुत थी, इसलिए मैंने सोचा कि कोई ने जानबूझ कर नहीं किया होगा|कुछ देर बाद जैसे ही मेरा कुर्ता फिर से ऊपर को हुआ तो फिर किसी ने मेरी गांड पर हाथ रख कर दबा दिया|मैंने तुरंत पीछे देखा तो वो सचिन था|

उसे देख कर मैं कुछ बोल ना सकी; बस ऊपर चढ़ गई|मेरी धड़कनें बढ़ने लगीं|ऊपर जाकर मैं भी बाकी औरतों के साथ खड़ी हो गई लेकिन मैं सबसे पीछे ही थी|सचिन फिर से मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया|

मौत के कुंए का खेल जैसे ही चालू हुआ, तो सचिन ने फिर से अपना हाथ मेरी गांड पर रख दिया और मेरी गांड को दबाने लगा|उधर मौत के कुंए में खेल चल रहा था, यहां सचिन मेरी गांड पर अपना हाथ साफ कर रहा था|

सचिन की हरकतों से मेरी चुत गीली सी होने लगी और मैं भी उसकी हरकतों का विरोध न कर पाई|सचिन ने आगे बढ़ते हुए कुर्ते के नीचे से अन्दर हाथ डाल दिया| उसने मेरी नंगी कमर पर अपना हाथ चलाना चालू कर दिया|

चाची का मूड बना के फुद्दी मारी – Chachi Ki Chudai

उसका स्पर्श मुझे मदहोश कर रहा था|मैं बस शांत खड़ी थी|मेरे माथे पर हल्का हल्का पसीना भी आने लगा|खेल खत्म होने तक सचिन ने अपना काम जारी रखा|मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं उसके साथ सारी हदें पार कर लूं|

फिर अचानक से सचिन वहां से गायब सा हो गया|मेरी नजरें भी सचिन को यहां वहां देखने लगी लेकिन वो कहीं नहीं दिखा|
साला मुझे तड़पता हुआ छोड़ गया था|मैं बिना उसे देखे बड़ी असहज होने लगी थी|

फिर हम सारे लोग घर आ गए|घर आकर आईने के सामने जब मैं चेंज कर रही थी|तब मैंने देखा कि मेरी लैगी के अन्दर से मेरी लाल पैंटी साफ दिख रही थी| जिससे मेरे उड़ते हुए कुर्ते से सचिन ने देख लिया होगा और उसने यह हरकत की|

मैंने इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहा|उस रात को सचिन के बारे में सोचते हुए मैं सो गई|दूसरे दिन रविवार को सुबह मेरे पति दुर्ग से घर वापस आए|उन्हें कुछ काम था|

वो दिन भर अपने काम में व्यस्त रहे और रात 10:00 बजे उनकी ट्रेन रायपुर से दुर्ग के लिए थी|मैं भी दिन में सोच रही थी कि मुझे सचिन की हरकत का विरोध तो करना ही चाहिए था|

शाम को मेरे पति ने मुझसे कहा,आज बाहर चलकर डिनर करते हैं| फिर तुम मुझे स्टेशन छोड़कर वापस चली आना|
मैंने भी हां कर दी|शाम को 6:00 बजे तैयार होते हुए मैंने लाल ब्लाउज और गोल्डन बॉर्डर वाली काली साड़ी पहनी|

मैंने अपने बालों का सुंदर सा जूड़ा बना लिया| कानों में बड़े झुमके और हाथों में लाल चूड़ियां पहन लीं| होंठों पर हल्की सी लाल लिपस्टिक लगाकर सज गई|हम लोग मार्केट के लिए निकल पड़े|

पहले तो हमने थोड़ा शॉपिंग की, उसके बाद हम लोग स्टेशन के पास ही एक रेस्टोरेंट में खाने के लिए चले गए|मेरे पति ने आर्डर किया|ऑर्डर देने के 5 मिनट में ही आर्डर आ गया|हम दोनों ने खाना खाया|

खाना खाते वक्त मेरे पति भी मेरी बहुत तारीफ कर रहे थे कि मैं आज बहुत खूबसूरत लग रही हूँ|हमने खाना खत्म किया तो मेरे पति बोले,मैं पांच मिनट में फ्रेश होकर आता हूँ| तब तक तुम बिल पे कर दो|मेरे पति फ्रेश होने के लिए चले गए|

मैंने वेटर को बुलाकर बिल के बारे में कहा|वेटर ने बिल की कॉपी मुझे लाकर दी|जब मैंने बुकलेट खोला तो उसमें एक बिल दिखा और उसके ऊपर एक गुलाब रखा था|वेटर मुझसे बोला,ओह सॉरी मैडम, आपका बिल पेड है|

मैंने उससे पूछा,किसने पे किया?इस बात का मुझे उसने कोई जवाब नहीं दिया| मैं यहां वहां देखने लगी कि किसने हमारा बिल चुका दिया है|इतने में मेरे पति आते दिखे, तो मैंने झट से अपने बैग में बिल और फूल दोनों छुपा लिए|

पति ने पूछा,बिल पे कर दिया?मैंने हां बोल दिया लेकिन मैं फिर भी इधर-उधर देखने लगी कि आखिर हमारा बिल किसने पे किया है|तभी मुझे किनारे की एक टेबल पर सचिन बैठा दिखाई दिया|वो मेरी तरफ देख रहा था|

मैं समझ गई कि हमारा बिल उसने ही पे किया है|उससे नजरें चुराते हुए मैं उसे देखते हुए अपने पति के साथ बाहर आ गई|
हम लोग स्टेशन की ओर चल दिए|स्टेशन पहुंचकर पति ने मुझे जाने को कहा क्योंकि उनकी ट्रेन का टाइम हो रहा था|

उनसे बाय करके मैं निकली और ऑटो स्टैंड की तरफ निकल पड़ी|मैं जा ही रही थी कि अचानक सचिन सामने से मेरी ओर आता दिखाई दिया|वो मेरे एकदम करीब आकर बोला,हैलो बिपाशा भाभी|मैं एकदम से हैरान हो गई|

मैंने अनजान बनते हुए कहा,माफ कीजिए मैंने आपको पहचाना नहीं|उसने मेरी तरफ देखा और बोला,क्या सच में आप मुझे नहीं जानती?मैं शांत रही|फिर सचिन बोला,क्या हम लोग आइसक्रीम, ठंडा ले सकते हैं| वहीं कुछ बात भी हो जाएगी|

मैंने कहा,नहीं रात हो गई है और मुझे घर जाना है| मुझे तुमसे कोई बात भी नहीं करनी है|उसने कहा,आप चिंता मत करो, मैं आपको घर छोड़ दूंगा|मैंने कहा,देखो, अगर तुम्हारे साथ किसी ने बातचीत करते देख लिया, तो मुझे बहुत परेशानी हो जाएगी|

इस पर सचिन बोला,तो फिर बिपाशा तुम मुझसे कहां मिलने आओगी?मैंने कहा,कहीं नहीं|इस पर वो बोला,ठीक है, फिर मैं एक घंटे से तुमसे मिलने तुम्हारे घर आता हूँ| वहां हमें कोई नहीं देखेगा|

मैं अभी उससे कुछ कहती कि उसने फिर से कहा,वैसे आज तुम साड़ी में बहुत अच्छी लग रही हो|मैं उससे पीछा छुड़ाने के लिए जल्दी वहां से निकल पड़ी|मैंने ऑटो किया और घर आ गई|

घर पहुंचकर मैं सोफे पर बैठकर सोचने लगी कि मुझे सचिन से बात ही नहीं करनी चाहिए थी|फिर मेरे मन में ख्याल आया कि अगर वो सही में घर आ गया तो क्या होगा|घर आकर उसने मेरे साथ जबरदस्ती की तो |

मैं उसका विरोध तो करूंगी लेकिन फिर भी उससे चुद जाऊंगी|वो कैसे कैसे और क्या क्या मेरे साथ करेगा|मैं अभी ये सब सोच ही रही थी कि मेरी चूत गीली हो गई|यही सोचते हुए मेरी आंख लग गई|मेरी जैसे ही आंख लगी कि डोर बेल बज उठी|

मैंने जागते हुए सोचा कि इस समय कौन होगा|रात बारह बज रहे थे|फिर मैंने जाकर दरवाजा खोला|दरवाजा खोला तो देखा सामने सचिन था|तो मैंने कहा,देखो तुम चले जाओ, कोई तुम्हें यहां देख लेगा, तो मैं बदनाम हो जाऊंगी|

घोड़ी बना के देसी लड़की की चुदाई – Desi Sex Kahani

मैंने दरवाजा बंद करना चाहा लेकिन सचिन अन्दर आ गया|उसने दरवाजा बंद कर लिया|मैंने कहा,सचिन , तुम यह क्या कर रहे हो, किसी ने अगर तुम्हें यहां आते देख लिया होगा, तो मैं बदनाम हो जाऊंगी|

सचिन बोला,जीनी, इतनी रात को किसी ने मुझे आते नहीं देखा| दूसरी बात मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ|मैंने मन में सोचा कि सचिन और मैं अकेले घर पर हैं, यह जरूर मेरे साथ कुछ करेगा|

वैसे भी मैं सचिन को पसंद भी करती थी| उसकी पर्सनेलिटी ने पहले ही मुझे इंप्रेस किया था|फिर भी मैंने सचिन से कहा,देखो तुम अभी चले जाओ|मुझे सचिन के मुँह से शराब की महक भी आ रही थी|

सचिन मेरी ओर बढ़ा और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया|मैंने सचिन से फिर कहा,तुम चले जाओ, नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी|
सचिन बोला,अगर तुम्हें शोर मचाना होता, तो अब तक तुम शांत न रहती|

मैंने अपनी आंखें नीचे झुका लीं| उसकी बात सही थी| मैं मन ही मन उसके नीचे आने को तरस रही थी|दोस्तो, मैं सचिन से चुदना चाहती थी|कैसे मैं उससे चुद सकी, ये मैं आपको अगली कहानी में लिखूंगी|

New Sex Stories