प्यासी सेठानी और ठरकी बाबा की रासलीला – Antarvasna Sex Story

Antarvasna Sex Story  : नमस्कार दोस्तों ,शांति एक बहुत ही सुन्दर औरत थी|गोरी चिट्टी, गदरेला शरीर, बड़े बड़े चूतड़ों और बड़ी बड़ी चूचियों की मालकिन!गाल गुलाबी बड़ी बड़ी आंखें, काले घने बाल |

सब कुछ था जो किसी को भी मदमस्त कर सकता था|कुछ नहीं था तो वह थी होठों की मुस्कान!देख कर ही लगता था कि कहीं ना कहीं कोई कमी है जो शांति को तंग कर रही है।यह बाबा सेक्स कहानी इसी शांति की वासना की है|

शांति पढ़ी लिखी है, कालेज की पढ़ाई की है, एक बॉयफ्रेंड भी था।उसकी साथ घूमी थी | ब्लू फ़िल्में भी देखी थी, चूमा चाटी भी की थी, एक दो बार उसका लंड हाथ में पकड़ा भी था मगर चुदाई नहीं करवाई।24साल की उम्र में शादी हो गयी|

अब तो दो साल हो गए शादी को!बच्चे नहीं हैं अभी।शांति का एक देवर है रवि और देवरानी कोमल ।दोनों पुणे में रहते हैं।रवि आईटी’ में काम करता है और काम के सिलसिले में अक्सर तीन तीन चार चार महीने के लिए विदेश जाता रहता है।

जब रवि विदेश जाता है तो कोमल शांति के पास ही आ जाती है।शांति की एक ननद भी है पूजा ,जो मुंबई में पढ़ती है और वहीं हॉस्टल में रहती है।वह शांति से तीन साल छोटी है मगर शहर में पढ़ने के कारण तेज तर्रार है|

आधुनिक विचारों वाली लड़की है।शांति , पूजा और कोमल की आपस में खूब पटती है, तीनों सहेलियों की तरह हैं।रमेश , शांति का पति 30 साल का थोक कपड़े का व्यापारी है; भारी शरीर का मालिक।

हर समय बस अपने व्यापार के बारे में ही सोचता रहने वाला ठेठ व्यापारी सेठ।काम के सिलसिले में उसे शहर से बाहर भी जाना पड़ता है|कई बार तो दो दो तीन तीन दिन के लिए भी!यूँ भी वह चूत का भूखा नहीं है|

चुदाई उसके लिए कोई ज़्यादा मायने नहीं रखती।जब चुदाई करता भी है तो जल्दी झड़ जाता है।उसका लंड भी बहुत बड़ा नहीं है; है लगभग पांच इंच का, ऊपर से वीर्य की धार भी केवल कुछ बूंदों तक ही सीमित रहती है।

शांति वो दिन नहीं भूल सकती जब ननद पूजा ने ही शादी के बाद सुहागरात के लिए शांति का कमरा सजाया था।उस दिन शांति मन ही मन खुश थी कि आखिर सपने पूरे होने वाले थे।

वह सोच रही थी कि आज उसके बॉय फ्रेंड की तरह का मोटा लंड उसकी चूत में जाएगा।सोच सोच कर ही चूत गीली हुई जा रही थी।रात हुई और रमेश कमरे में आ गया।तब वह इतना मोटा नहीं था|मगर शांति के बॉय फ्रेंड जैसा कड़क नहीं था।

वह आया और आकर पलंग पर बैठ गया|उसने शांति को बाहों में ले लिया, उसके होठों को चूमा, फिर हल्के से चूचियां दबाई और कपड़े उतारने शुरू किये।शांति की कुंवारी चूत पानी छोड़ने लगी।

उसका मन किया कि बस उसका पति पेल दे उसको!वह सोच रही थी कि पता नहीं कैसा लंड होगा, कैसे चोदेगा।रमेश ने शांति को बिस्तर पर लिटा दिया और सारे कपड़े उतार दिए; खुद भी पूरा नंगा हो गया।

धीरे से उसने शांति का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।शांति ने महसूस किया कि लंड ना तो मोटा ही है ना ही लम्बा | बस ठीक ठाक ही है|उसके बॉयफ्रेंड का लंड तो लम्बा और मोटा था।

अभी वह ख्यालों में ही थी कि रमेश ने उसकी चूत चूसनी शुरू कर दी।शांति को मज़ा आने लगा।थोड़ी ही देर में रमेश उठा, शांति के चूतड़ों के नीचे तकिया रखा और चोदने की तैयारी करने लगा।शांति मस्त हो गयी।

रमेश ने लंड उसकी चूत पर रखा और एक ही बार में अंदर पेल दिया।शांति की चूत कुवांरी थी, अभी तक चुदी नहीं थी, रमेश का लंड मोटा ना होने पर भी थोड़ा सा तो दर्द हुआ।रमेश ने चुदाई शुरू कर दी।

शांति की पहली चुदाई थी इसलिए ज़्यादा नहीं रुक पाई और झड़ गयी|थोड़ी देर में रमेश भी झड़ गया।रमेश उठा और पानी पी कर सो गया।शांति सोच रही थी कि अभी और भी कुछ करेगा|लेकिन रमेश ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।

सुनी सुनाई बातें थी कि पहली रात को मर्द इतनी चुदाई करते हैं कि चूत का भरता बना देते हैं।मगर यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था|फिर भी शांति ने सोचा कि चलो पहला दिन है, हो सकता है थका हुआ हो, कल बढ़िया चुदाई करेगा।

वह भी सो गयी।मगर जल्दी ही शांति को समझ आ गया कि रमेश कोई बढ़िया चोदू नहीं है।रमेश के लिए काम सब कुछ था चुदाई उसके लिए कोई बहुत मायने नहीं रखते थी।शुरू शुरू में तो रमेश रोज़ या एक दिन छोड़ कर चुदाई करता था|

मगर धीरे धीरे बात कई कई दिन पर चली गयी।लंड की प्यासी शांति की हालत ये हो गयी थी कि जब कभी चुदाई का मन करता, कम्यूटर पर ब्लू फिल्म लगा कर उंगली से ही काम चला लेती थी।

लेकिन लंड आखिर लंड ही होता है, मोटा लम्बा गर्म , उंगली लंड का काम नहीं कर सकती।यही कारण था शांति की उदासी का!दिन गुज़रते गए।रमेश की चुदाई का अंतराल भी बढ़ता चला गया।

हालत यह थी कि शादी को अभी दो ही साल हुए थे कि पंद्रह पंद्रह दिनों तक शांति की चूत लंड के लिए तरस जाती थी।एक दुपहर शांति सोफे पर बैठे ब्लू फिल्म देख रही थी जिसमें एक लड़की को दो जवान लड़के रगड़ रहे थे।

एक पीछे से चुदाई कर रहा था, दूसरे ने लड़की के मुंह में लंड डाला हुआ था।शांति का एक हाथ चूत को रगड़ रहा था, दूसरे से अपनी चूची दबा रहे थी|तभी दरवाजे की घंटी बजी।शांति को बड़ी कोफ़्त हुई कि इस समय ये कौन आ गया|

चूत बस पानी छोड़ने ही वाली थी।अभी वह सोच ही रही थी कि घंटी दुबारा बजी।गुस्सा तो बहुत आया शांति को | मगर क्या करती।दरवाजा खोला तो कूरियर वाला था।मन ही मन गालियां देकर सामान लिया|

वह मुड़ने ही वाली थी कि सामने एक बाबा की तरह का हट्टा कट्टा लम्बा लगभग 40 साल का व्यक्ति खड़ा था।उसने सफ़ेद वस्त्र पहन रखे थे, लम्बे बाल और काली दाढ़ी मूंछ थी।उसके चेहरे से ओज टपक रहा था।

राख में लिपटा अखाड़े वाला बाबा तो नहीं लग रहा था।पर वह खड़ा खड़ा शांति की तरफ देख रहा था।शांति सकपकाई और बोली, कुछ चाहिए क्या आपको?बाबा बोला, कुछ नहीं सेठानी, इधर से गुजर रहा था, यों ही खड़ा हो गया|

एक गिलास पानी पिला दें तो चला जाऊंगा।रुकिए लाती हूँ!” शांति पानी लेने अंदर चली गयी।कुछ ही देर में जग और गिलास लेकर आई और बाबा को पानी पिला दिया।बाबा ने धन्यवाद किया और यों ही पूछ लिया, क्या बात है

कोई नौकर नौकरानी नहीं है? सामान भी आप ही लेने आई हो?”जी नहीं, हम दो ही लोग हैं घर, मैं और मेरे पति, काम वाली बस सुबह आती है और काम कर के चली जाती है। एक ननद है जो मुंबई में पढ़ाई कर रही है, हॉस्टल में ही रहती है|

देवर देवरानी पुणे में रहते हैं।”बाबा ने दुनिया देखी थी।एक मिनट में शांति की आंखों में उदासी की झलक पढ़ ली।वह बोला, क्या बात है सेठानी, कुछ परेशान हो?शांति बोली, नहीं महाराज, ऐसे तो कोई बात नहीं!

मगर बोलते समय शांति बाबा के साथ नज़रें नहीं मिला रही थी, उसका ध्यान तो ब्लू फिल्म की तरफ था।उसका मन कर रहा था ये बाबा भी जाए और वह वापिस जा कर फिर से वही फिल्म देखे और चूत का पानी निकाले।

बाबा बोला, कुछ तो है। हम सन्यासी हैं, चेहरे का भाव देख कर मन की दशा जान लेते हैं। अगर कोई समस्या है तो बताओ, हो सकता है हम कुछ मदद कर दें।बाबा ने दुनिया देखी थी।आज का बाबा था मगर असूल का पक्का।

सैंकड़ों औरतों की चूत ले चुका था, मजाल की किसी कुवांरी को खराब किया हो।जो औरतें अपने मर्दों की चुदाई से खुश नहीं होती थी या जिन कुंवारियों को चुदाई की लत लग जाती थी, बस उसी को चोदता था।

बाबा की बात सुन एक पल तो शांति रुकी, मगर फिर बाबा की बातें कुछ अजीब सी लगी।वह बोली, नहीं कोई परेशानी नहीं, मगर आप अंदर आ जाइये यहां खड़े खड़े बात करना कुछ ठीक नहीं लग रहा।

बाबा शांति के पीछे पीछे अंदर चला गया और सोफे पर बैठ गया।दूसरे सोफे पर शांति बैठ गयी।बाबा ने पूछा, तुम्हारे पति क्या करते हैं सेठानी?”जी उनका कपड़े का थोक का काम है|” शांति ने बताया।”फिर तो बहुत व्यस्त रहते होंगे?” बाबा ने पूछा।

“जी हाँ, व्यस्त तो रहते हैं।”दुनिया देखे बाबा को शांति की उदासी का कारण समझ आने लगा।अचानक बाबा को शांति और अधिक सुन्दर लगने लगी।वह कपड़ों के अंदर शांति के शरीर की कल्पना करने लगा।

तब वह बोला, देखो, मैं तुम्हारी समस्या का समाधान कर सकता हूँ। तुम्हें कुछ नहीं करना है, बस अपना हाथ मेरे हाथ में दे कर अपनी समस्या के बारे में विचार करना है। फिर तुम्हारी समस्या और उसका समाधान दोनों मैं बताऊंगा।

शांति ने भी सोचा कि इसमें क्या हर्ज है|वह कुछ नहीं बोली।बाबा ने अपना हाथ बढ़ाया।शांति भी उठ कर बाबा के सामने बैठ गयी और अपना हाथ बाबा के हाथ में दे दिया और आँखें बंद कर ली।

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बाबा ने शांति का हाथ थामा और बोला, अब अपनी समस्या की तरफ ध्यान लगाओ।शांति की आँखों के आगे रमेश का 5 इंच का लंड, आधी अधूरी चुदाई और अभी अभी देख रही ब्लू फिल्म घूम गए।

उसे लगा कि एक लंड उसकी चूत में ही घुसा हुआ है और दूसरा उसके मुंह में है।अचानक उसका हाथ अकड़ गया।बाबा ने भी महसूस किया कि शांति कुछ असहज है; कुछ सोच रही है।बाबा ने पूछा, समस्या तुम्हारे पति से संबधित है?

शांति कुछ नहीं बोली, गले से केवल एक आवाज़ निकली ‘हूँहूँ’बाबा की आंखों में शांति की गदेली देह नंगी घूम गयी।वह सोचने लगा लगता है कि आज इसकी चूत चोदना लिखा है मेरी किस्मत में!

उसका लंड उसकी धोती से बहार निकलने को बेताब हो रहा था।बाबा ने पूछा, क्या पति तुम्हारे लिए समय नहीं निकाल पाते?
शांति कुछ नहीं बोली|मतलब हाँ ही था।बाबा ने अब अधिक इंतज़ार करना ठीक नहीं समझा, सेठानी, लगता है

चुदाई अच्छी नहीं होती?शांति को बाबा से ये उम्मीद नहीं थी कि वह इतनी जल्दी समस्या की जड़ तक पहुँच जाएगा और एकदम चूत चुदाई की बात करने लगेगा।शांति का दिमाग सुन्न हो गया, उसके मुंह से आवाज़ नहीं निकली।

रमेश कैसा भी था मगर शांति ने किसी गैर मर्द से चूत नहीं चुदवाई थी।सेठानी चुदाई करवाओगी?” बाबा ने पूछा।अब तो शांति जड़ हो गयी।उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे, उसके मुंह से आवाज़ नहीं निकल रही थी।

उसकी तो बस चूत में बाढ़ आयी हुई थी।असल में तो अब वह लंड ही लेना चाहती थी, भले रमेश का छोटा लंड ही क्यों ना हो।अब बाबा ने शांति का दूसरा हाथ पकड़ा, कुछ देर पकड़ने के बाद हाथ अपने लंड पर रख दिया।

शांति हैरान हो गयी ‘ये क्या है? इतना बड़ा लंड?एक पल के लिए विचार आया कि अगर बाबा ने उसे चोदा तो ये चूत में घुसेगा कैसे?फिर सोचने लगी कि जब लंड के रगड़े चूत के अंदर लगेंगे तब चूत का क्या होगा, कितना मजा आएगा, कैसा मजा आएगा|

अनायास ही उसने लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और आंखें खोल दी।शांति की आँखें लाल हुई पड़ी थी; उसके होंठ खुल गए थे।बाबा ने एक हाथ से शांति की चूची दबाई और उसके होठों को अपने होठों में ले लिया।

शांति ने बाबा का लंड कस क़र पकड़ लिया।अब बाबा से भी रहा नहीं जा रहा था।उसने अपना लंड शांति के हाथ से छुड़वा कर उसके मुंह में डाल दिया।बाबा का लंड शांति के मुंह में समा ही नहीं रहा था।

वह पागलों की तरह जोर जोर से बाबा का लंड चूसने लगी।अब शांति से नहीं रहा जा रहा था।वह चाह रही थी कि बाबा आगे बढे और डाल दे अपना ये मोटा लम्बा लंड उसकी चूत में और उसकी चूत के परखच्चे उड़ा दे।

उसने लंड अपने मुंह से बाहर निकला और पहली बार बोली, बस बाबा जी, अब अंदर करो।बाबा ने शांति को सोफे पर ही लिटा दिया और उसके सारे कपड़े उतार दिए।शांति का गोरा चिट्टा गदराया शरीर देख कर बाबा के होश उड़ गए।

बाबा ने शांति की गांड के नीचे सोफे की गद्दी रख कर उसकी चूत को ऊंचा कर दिया।अब बाबा का लंड शांति की चूत को जन्नत की हवा खिलने को तैयार था।बाबा ने अपने लंड का टोपा शांति की चूत पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया।

शांति की चूत में अब तक ऐसा मोटा लंड नहीं घुसा था।उसके मुंह से हल्की सिसकारी निकली; थोड़ा दर्द भी हुआ|मगर आनंद दर्द पर भारी था।बाबा समझ गया कि चूत मोटा लेने की अभ्यस्त नहीं है।

उसने भी जल्दबाजी ना करते हुए धीरे धीरे अंदर डालना शुरू किया।जब शांति अभ्यस्त हो गयी और अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी तो बाबा समझ गया कि अब ये पूरा मांग रही है।

बाबा एक झटका लगाया और पूरा लंड चूत की अंदर तक डाल दिया।शांति के गले से एक आनद भरी सिसकारी निकली।चुदाई शुरू हो चुकी थी।बाबा के लम्बे धक्के शांति को आनन्दसागर में गोते लगवा रहे थे।

शांति अब चूतड़ों को हिला हिला कर पूरा लंड अंदर ले रही थी।अब वह सिसकारियां ले रही थी, आह | आह | और लगाओ बाबा जी, आनंद आ गया। अब पता लगा क्या होती है चुदाई! चोदो दबा कर | फाड़ दो मेरी चूत! बाबा जी आह |

आह बाबा जी ओह ओह | बाबा चोद | और जोर से चोद।अब वह बाबा जी को केवल बाबा कह रही थी।चुदाई करने वाले के लिए ‘जी’ कैसा।बाबा सेक्स का माहिर था, वह भी रगड़ रगड़ कर चोद रहा था।ऐसा लग रहा था कुवांरी चूत चोद रहा हो।

चोदते चोदते बाबा को मजा आने लगा।शांति भी झड़ने ही वाली थी।धुआंधार चुदाई के बाद बाबा के लंड ने फवारा छोड़ दिया।
शांति की चूत बाबा के गर्मागर्म सफेद लेसदार वीर्य से भर गयी।अब शांति को साफ़ पता लग रहा था |

कि बाबा का सफ़ेद लेसदार माल चूत से बाहर निकल रहा है।इतना मजा तो शांति को आज तक नहीं आया था।चुदाई पूरी कर के बाबा उठा और लंड वापस शांति के मुंह में डाल दिया।तो शांति ने भी चाट चाट कर बाबा का लंड साफ़ किया।

शांति अभी भी लेटी हुई थी।उसने अपनी चूत पर हाथ फेरा तो पूरा हाथ बाबा के सफ़ेद लेसदार वीर्य से भर गया।ना जाने शांति को क्या सूझा कि उसने वह सारा वीर्य जबान से चाट लिया।बाबा समझ गया कि सेठानी तृप्त हो गयी है।

बाबा उठा और कपड़े पहनने लगा।शांति ने लेटे लेटे ही पूछा, अब कब आओगे बाबा जी? आपने तो मेरा जीवन सफल कर दिया। ऐसी चुदाई तो कभी भी नहीं हुई। इतनी रगड़ी आपने मेरी चूत | असली मजा तो इस रगड़ाई में ही आया है।

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आपकी ये रगड़ाई मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी।बाबा खड़ा हुआ और बोला, मुझे भी तुम्हारी कुंवारी जैसी चूत चोद कर मज़ा आ गया| लेकिन अब कब आऊंगा, यह नहीं बता सकता।

शांति लेटे लेटे बोली, फिर भी कुछ तो बताइये कि अब कब आएंगे बाबा जी मेरी चूत की किस्मत चमकाने?”सेठानी, अभी तो मैं ऋषिकेश जा रहा हूँ। एक महीने में वापस आऊंगा। वहाँ मेरे दो शिष्य हैं गुरु और नारायण।

वे मेरे साथ होंगे। फिर भी समय मिला तो जरूर आऊंगा। मेरी भी इच्छा है तुम्हें दुबारा चोदने की। तुम्हारी चूत और चुदाई मैं नहीं भूल सकता। कभी मौक़ा मिला तो तुम्हारी गांड में भी लंड डालूंगा।”

बाबा का मन तो शांति को अभी के अभी एक बार और चोदने का भी था, मगर आगे भी जाना था।शांति को एक बार देख कर बाबा बाहर निकल गया।शांति गांड चोदने वाली बात पर हैरान थी |

मगर अभी भी चूत पर हाथ फेर कर बाबा का वीर्य चाट रही थी।प्यारे पाठको, कैसी लगी मेरीसेक्स बाबा सेक्स कहानी?अगर कहानी पसंद आई हो तो अपने दोस्तो के साथ जरूर शेयर करें। हमारी वेबसाइट fungirl.in आपके लिए ऐसी ही मजेदार चुदाई की कहानियां लाती रहेगी।

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